Sunday, 3 July 2016

संकट काल में भी धैर्य का त्याग नहीं करना चाहिए

त्याज्यं न धैर्यं विधुरेऽपि काले
धैर्यात् कदाचिद्गतिमाप्नुयात् सः।
यथा समुद्रेऽपि च पोतभङ्गे
तां यात्रिको वाञ्छति तर्तुमेव।।
संकट काल में भी धैर्य का त्याग नहीं करना चाहिए।
कदाचित् धैर्य से उसे सफलता मिले।
समंदर में, नौका टूट जाने पर भी यान्त्रिक
तैरने की इच्छा रखता है।
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